UP News: आगरा में हर साल औसतन 50 हजार से अधिक प्रसव होते थे. इस साल 30 हजार ही हुए प्रसव सरकारी अस्पताल में हुए हैं.
आगरा, उत्तर प्रदेश
UP News: उत्तर प्रदेश के आगरा में झोलाछाप और आशाओं के गठजोड़ से गर्भवती (pregnant women) और मासूम (innocent children) की जान खतरे में हैं. झोलाछाप (Quacks)और आशाओं (ASHAs) की जुगलबंदी से सरकारी अस्पतालों में प्रसव (deliveries in government hospitals) घट गए हैं. क्योंकि, कमीशन के लालच में आशाएं अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को निजी और झोलाछाप के यहां ले जाकर प्रसव करा रहा हूं. इसके चलते बीते साल के मुकाबले आगरा के सरकारी अस्पतालों में करीब 40 फीसदी कम प्रसव हुए हैं. इन आंकड़ों ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है.
बता दें कि आगरा में 18 सामुदायिक, 48 प्राथमिक स्वास्थ्य औसतन महीने स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें औसतन हर सकारी अस्पतालों में प्रसव में बेहद गिरावट आई है। इस साल हर महीने औसतन 2600 प्रसव रह गए हैं। सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में कमी आई है। बीते साल हर महीने 3 हजार से अधिक प्रसव हुए थे, जो अब घटकर करीब 2200 रह गए हैं। शहरी आंकड़ों में बीते साल 14745 प्रसव सरकारी अस्पतालों में हुए और इस बार ये संख्या 9352 रह गई है। गिरते आंकड़ों ने स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट बनाई है।
UP News: रॉयल हॉस्पिटल में आशाओं को बांटे थे उपहार (Gifts were distributed to ASHAs in Royal Hospital)
आगरा की आशाओं की कमीशन के लिए निजी अस्पताल और झोलाछाप के यहां प्रसव कराते पकड़ी गई हैं। बीते साल 9 दिसंबर को यमुनापार के रॉयल हॉस्पिटल में आशाओं को उपहार बांटने का वीडियो वायरल हुआ था. जिस पर सीएमओ ने छापा मारा और 17 आशाओं की सूची मिली. इस मामले में अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर आशाओं पर एफआईआर कराई थी.

UP News: आशाएं की जा रही चिह्नित (ASHAs are being identified)
आगरा सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव में बीते साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी कमी आई है. जो आशाएं कमीशन के लिए झोलाछाप के लिए काम करती हैं. ऐसी आशाओं को चिह्नित किया जा रहा है. झोलाछाप पर छापे मारकर एफआईआर भी कराई जा रही है. इस बारे में आईएमए के पदाधिकारियों का कहना है कि आशाओं से सांठगांठ करके निजी अस्पताल में प्रसव का आईएमए समर्थन नहीं करता है. ये जरूरतमंद मरीज का शोषण भी है. ऐसे मामलों में विभाग दोषियों और झोलाछापों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
UP News: पांच साल का ये है रिकॉर्ड (This is the record of five years)
वर्ष | शहरी | ग्रामीण |
2020-21 | 11220 | 38734 |
2021-22 | 10602 | 41310 |
2022-23 | 11509 | 40744 |
2023-24 | 14745 | 38229 |
2024-25 | 9352 | 22235 |
वर्ष शहरी ग्रामीण
2020-21
2021-22 10602 41310
2022-23 11509 40744
2023-24 14745 38229
2024-25 9352 22235