UP News: सरकार की लाख कोशिश के बाद गर्भवती अभी सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने से कतरा रही हैं. ताजा मामला अलीगढ़ जिले का है. जिसमें जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में डीएम ने जब आंकड़े देखे तो खुलासा हुआ कि जिम्मेदार डॉक्टर्स ने प्रसव के नाम पर निजी अस्पताल को अपनी जिम्मेदारी ही‘रेफर’ कर दी.
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश.
UP News: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में सरकार की जननी सुरक्षा योजना, सरकारी सुविधा, मुफ्त दवाएं और इलाज… ये सब कागजों में खूब चमकते हैं, लेकिन हकीकत उलट है. अलीगढ़ जिले में गर्भवती महिलाएं निजी अस्पतालों में प्रसव करा रही हैं. जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जब अधिकारियों ने आंकड़े देखे तो हैरान रह गए. ताजा मामला यूपी ( UP News) के अलीगढ़ जिले के अतरौली का है. जहाँ पर 49 महिलाओं ने सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी में प्रसव कराने की बात उजागर की है. जिससे अलीगढ़ के स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई है. इस बारे में अलीगढ़ के डीएम संजीव रंजन ने नाराजगी जताने के साथ ही चिकित्सा अधीक्षक से जबाव-तलब किया है.
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में चौंकाने वाले आंकड़े जब डीएम संजीव रंजन ने देखे तो उन्होंने बैठक में ही अतरौली सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक से साफ पूछा, फिर सरकारी सुविधा का लाभ किसे हुआ? जिस पर चिकित्सा अधीक्षक ने जवाब दिया कि इनमें से 25 महिलाएं जिला अस्पताल रेफर की गई थीं, लेकिन उनके परिवारवालों ने भरोसा नहीं जताते हुए उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया. इसके साथ ही 18 महिलाएं मायके चली गईं. जिससे वहीं पर उनका निजी अस्पताल में प्रसव हुआ है.

छह महिलाएं सीधे पहुंचीं निजी संस्थान (Six women directly reached private institute)
इनमें से छह गर्भवती पहले ही खुद निजी संस्थान पहुंच गईं. जिससे साफ है कि गर्भवती और उनके परिजन को सुविधा पर भरोसा नहीं या सिस्टम ने पहले ही हार मान ली है. या फिर कारण कुछ और ही है. जिससे सरकार की ‘जननी सुरक्षा योजना’ को जो आईना दिखा है. उससे सरकारी सुविधा सिर्फ कागज पर दिखाई दे रही है. आज भी मरीज निजी अस्पताल को ही अंतिम सहारा मान रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह कि योजनाओं की रिपोर्टिंग में ‘100 प्रतिशत उपलब्धि’ दर्ज की जाती है और जमीनी सच्चाई बैठक में आकर बेमन से कुबूल की जाती है.
समिति के समक्ष प्रस्तुत किए त्यागपत्र (Resignations presented before the committee)
छर्रा सीएचसी पर तैनात डॉ. प्रेक्षा सिंह ने चार जून को, जमालपुर पीएचसी की डॉ. नौशाबा नाजनीन ने 12 जून को और ऊपरकोट के डॉ. जव्वाद सूरी ने 13 जून को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है. तीनों डॉक्टर ने अपने त्यागपत्र समिति के समक्ष प्रस्तुत किए हैं.
मिशन निदेशक को पत्र की बात (Letter to Mission Director)
बैठक में एफआरयू, आयुष्मान भारत, परिवार कल्याण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य की भी समीक्षा में डीएम ने मलखान सिंह जिला अस्पताल में तैनात सर्जनों से प्रतिदिन की कार्य रिपोर्ट तलब की. जवां ब्लॉक के तीन उपकेंद्रों के किराये का मुद्दा भी उठा. जिनके लिए डीएम ने मिशन निदेशक को पत्र भेजने की बात कही.
अधिकारियों ने यूं झाड़ा पल्ला (The officials shrugged it off)
बैठक में जवाब मांगने पर जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा कि हमने तो गर्भवती को रेफर कर दिया था, लोग न मानें तो क्या करें. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर जितना खर्चा होता है, अगर उतना भरोसा भी होता तो अतरौली में 49 गर्भवती महिलाएं निजी अस्पतालों में प्रसव नहीं करातीं.