नई दिल्ली.
बच्चों के विकास में विटामिन-ए बहुत महत्वपूर्ण है. इसके बावजूद भी देश के बच्चों में विटामिन-ए की कमी है. यह चौंकाने वाला खुलासा हाल में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हुआ है. सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि, भारत में हर पांच में से दो बच्चा विटामिन-ए की डोज से वंचित रहते हैं. जबकि, विटामिन-ए हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
रिसर्चर ने बताया कि, सर्वे रिपोर्ट में 204645 बच्चे शामिल किए गए. जिसमें शामिल सभी बच्चों की उम्र नौ महीने से पांच साल के बीच रही. रिसर्च में यह सामने आया कि, 123836 बच्चे को विटामिन-ए की खुराक दी गई.

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2015 से दिसंबर 2016 के बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 में देशभर के 640 जिलों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर है. सर्वेक्षण में 601509 घरों से 699686 महिलाओं और 112122 पुरुषों से सवाल किए गए.
रिसर्चर डॉ. कौस्तुभ बोरा बताते हैं कि, गोवा में सर्वाधिक 89.5 प्रतिशत और सिक्किम में 84.3 प्रतिशत बच्चों को विटामिन की खुराक दी गई. वहीं,नगालैंड में 29.5 प्रतिशत और राजस्थान में सबसे कम 20 प्रतिशत बच्चों को डोज दी गई. मणिपुर में 32.1 प्रतिशत, उत्तराखंड में 36.9 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत बच्चे को विटामिन ए की खुराक दी गई.
जरूरतमंद बच्चों को खुराक देने की अपील
रिसर्चर डॉ. बोरा बताते हैं कि, भारत में पात्र पांच में से दो बच्चों को विटामिन-ए की खुराक नहीं दी गई. जरूरतमंद बच्चों तक विटामिन-ए की पहुंच सुनिश्चित करें. वैश्विक स्तर पर करीब 190 मिलियन बच्चे विटामिन-ए की खुराक से वंचित हैं. यानी पांच वर्ष से कम उम्र के हर तीन में से एक बच्चा विटामिन की खुराक से वंचित है.
विटामिन-ए की कमी के लक्षण
- विटामिन-ए की कमी से थकान.
- त्वचा संबंधी समस्या होना.
- आंखों में सूजन या सूखापन होना.
- शारीरिक विकास में कमी आना.
- हड्डियों का कमजोर होना.
- दांतों की परेशानी और रतौंधी होना.
इसके प्रभाव को ऐसे समझें
बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि, विटामिन-ए की कमी से आंख की रोशनी कम होती है. जिससे बच्चे अंधेपन का शिकार हो सकते हैं. विटामिन-ए की कमी से त्वचा पर जख्म उभर आते हैं. एनीमिया, पेशाब नली में संक्रमण, श्वसन प्रणाली में संक्रमण समेत अन्य बीमारियां होती हैं.