Winter Care: यूपी में जिला स्तर पर 28 फरवरी 2026 तक सांस अभियान चलेगा. जिसमें शून्य से पांच साल तक के बच्चों को निमोनिया से बचाव की जागरुकता के साथ ही पीसीवी का टीकाकरण के बारे में बताया जाएगा.
आगरा, उत्तर प्रदेश.
Winter Care: यूपी में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से सांस अभियान (Sansa Campaign) चलेगा. जिसकी बुधवार को आगरा में शुरूआत हुई. यह अभियान 28 फरवरी 2026 तक चलेगा. जिसमें शून्य से पांच साल तक के बच्चों में निमोनिया व उससे होने वाली जटिलताओं से जागरूक करने के लिए जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सांस अभियान के अंतर्गत शून्य से पांच साल तक की आयु के सभी बच्चों की निमोनिया हेतु स्क्रीनिंग, चिकित्सा अधिकारियों व नर्सिंग अधिकारियों को निमोनिया स्किल लैब प्रशिक्षण, चिकित्सा संस्थानों पर प्रचार सामग्री प्रदर्शन, आवश्यक दवाओं की उपलब्धता, निमोनिया के लक्षणों की पहचान व प्रबंधन हेतु आमुखीकरण किया जाएगा. इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता व आंगनवाड़ी की ओर से सामुदाय स्तर पर बैठक आयोजित होंगी. जिसमें लोगों में बच्चों को निमोनिया से बचाव करने के लिए जागरुक किया जाएगा. बुधवार से इस अभियान की शुरूआत की गई.
Sansa Campaign में ये जागरूकता (awareness) होगी
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उपेंद्र कुमार ने बताया कि अभियान की इस साल की थीम ‘निमोनिया नहीं, तो बचपन सही’ रखी गई है. उन्होंने बताया कि अभियान के मुख्य घटक पीपीटी यानी प्रिवेंट, प्रोटेक्ट व ट्रीट रणनीति को अपनाते हुए पीसीवी वैक्सीन के तीनों डोज (06 सप्ताह और 14 सप्ताह में दो प्राथमिक खुराकें और 09 महीने में एक बूस्टर खुराक)लगाना सुनिश्चित किया जाएगा. इसके साथ ही साथ ही पीएचसी, सीएचसी व जिला अस्पतालों में निमोनिया से ग्रसित बच्चों के लिए बेड रिजर्व रखे जा रहे हैं. निमोनिया व गंभीर निमोनिया का प्रोटोकॉल अनुरूप उपचार उपलब्ध करवाया जा रहा है. जिले में समुदाय स्तर पर आशाएं नियमित भ्रमण करके बच्चों में निमोनिया के लक्षणों, खांसी, बलगम, तेज सांस, पसलियां चलना व सांस लेने में परेशानी होना समेत लक्षणों के आधार पर पहचान करेंगी. इसके साथ ही गंभीर बच्चों को रेफर किया जाएगा.

बच्चों में निमोनिया के कारण (Causes of Pneumonia in Children)
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उपेंद्र कुमार ने बताया कि निमोनिया फेंफड़ों के संक्रमण, बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगल संक्रमण से होता है. इसके साथ ही बच्चों में निमोनिया होने के कई कारण हैं. जैसे- बच्चे का वजन कम होना व कुपोषित होना, मां के द्वारा शिशु को छह माह तक स्तनपान न कराया जाना, घरेलू प्रदूषण, खसरा व पीसीवी टीकाकरण न कराना, जन्म-जात विकृतियों जैसे क्लेफ्ट पैलेट, अनुवांशिक ह्रदय विकृति तथा अस्थमा, निमोनिया की आशंका को बढ़ावा देते हैं.
