World Brain Tumor Day: भारत में हर साल ब्रेन ट्यूमर की वजह से 25 हजार लोगों की मौत हो रही है. बीमारी की गंभीरता और अन्य बीमारी के डर से 60% मरीज तो समय पर इलाज कराने में कतराते हैं. जबकि, सात से आठ घंटे में एक जटिल ऑपरेशन में इस बीमारी से मरीजों की जान बचाने का काम विशेषज्ञ कर रहे हैं.
कानपुर, उत्तर प्रदेश.
World Brain Tumor Day: क्या आपको, हर दिन नींद खुलते ही तेज सिरदर्द है. थकान के साथ ही बातें भी भूल रहें तो इसे हल्के में ना लें. यदि आप लंबे समय से इन परेशानियों ने जूझ रहे हैं तो तो यह ब्रेन ट्यूमर भी हो सकता है. हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे (World Brain Tumor Day) मनाया जाता है. World Brain Tumor Day पर बात ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) बीमारी की. विशेषज्ञों का दावा है कि मोबाइल पर घंटों बातें, नींद की कमी, प्रदूषण, नशा, मानसिक तनाव के साथ ही गलत खानपान भी अब ब्रेन ट्यूमर की मुख्य वजह हैं.
बता दें कि ब्रेन ट्यूमर का पहला मरीज सन 1886 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मिला था. यदि हम भारत की बात करें तो हर साल 25 हजार लोगों की मौत ब्रेन ट्यूमर की वजह से हो रही है. सभी तरह के कैंसर के 1.6 प्रतिशत मामले ब्रेन ट्यूमर के होते हैं.

न्यूरॉन्स कोशिकाओं का बढ़ना है वजह
न्यूरॉन्स के बीच कोशिकाओं के बढ़ने की वजह से ब्रेन ट्यूमर होता है. आमतौर पर इस तरह के ट्यूमर, कैंसर वाले ट्यूमर नहीं होते हैं. मगर, कुछ स्थितियों में इससे कैंसर का जोखिम हो भी रहता है. इस बारे में जीएसवीएम (गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल) मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रेन ट्यूमर के इलाज से 60% मरीज कतराते हैं. उन्हें इस बात का भय होता है कि कहीं गंभीर मर्ज न सामने आ जाए. जब ऐसे लोग महीनों लक्षणों की अनदेखी करते हैं तो इन मरीजों की स्थिति गंभीर हो जाती है. तब उन्हें सीधे वेंटिलेटर तक लेना पडता है.
हर साल 5500 सर्जरी
हैलट अस्पताल के न्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ मनीष सिंह बताते हैं कि हमारे अस्पताल में ब्रेन ट्यूमर की हर साल 5500 सर्जरी होती हैं. इन सर्जरी को कराने वालों में से बीस फीसदी युवा हैं. पिछले चार-पांच साल में 15 फीसदी रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है.
इन तरीकों से बचाव संभव
● पर्याप्त नींद लेने के साथ तनाव से रहें दूर
● धूम्रपान और शराब से बीमारी का खतरा
● प्रदूषण वाले स्थान पर कम से कम रहें
● नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं
● परिवार में यदि इस बीमारी का इतिहास रहा हो तो पहले से ही सतर्क रहें
● जल्दी पहचान से इलाज संभव
इन लक्षणों पर दें ध्यान
- सुबह जागने के बाद तेज और लगातार सिरदर्द
- सुबह के समय या खाली पेट में यदि मितली आए
- हाथ-पैर सुन्न या कमजोरी
- व्यवहार में बदलाव व शरीर का संतुलन बिगड़ना