World Cancer Day : कैंसर ऐसी बीमारी है, जो किसी महिला या पुरुष में अर्जी स्टेज में डिटेक्ट हो जाए तो दवाओं से ठीक किया जा सकता है. कैंसर की दूसरी, तीसरी और चौथी स्टेज में उपचार, सर्जरी और अन्य से कैंसर मरीज की जान बचाई जा सकती है.
आगरा, उत्तर प्रदेश.
आज चार फरवरी है. आज के ही दिन विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. जिसके चलते दुनिया में कैंसर की जागरूकता और रिसर्च पर आज खूब चर्चा होगी. कैंसर एक बीमरी नहीं, बीमारियों का समूह है. जिसका नाम जुबान पर आते ही शरीर में सिहरन हो जाती है. ऐसा लगता है, जैसे जिंदगी थम सी गई है. डर से मन खौफ से बैठ जाता है. कैंसर का रोग पुरुषों के साथ ही महिलाओं की जान की दुश्मन बन गया है. यदि हम महिलाओं की बात करें तो पांच ऐसे कॉमन कैंसर हैं. जिनकी वजह से महिलाओं की जान तक जा रही है. विश्व कैंसर दिवस पर उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता से जानते हैं कि महिलाओं में सबसे अधिक खतरनाक कैंसर कौन सा है. उन्होंने बताया कि महिलाओं में सबसे अधिक ब्रेस्ट कैंसर है. इसके बाद सर्वाइकल कैंसर, अंडाशय का कैंसर,पित्त की थैली का कैंसर और खाने की नली का कैंसर हो रहा है.
World Cancer Day : महिलाओं के ये हैं खतरनाक कैंसर
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि महिलाओं में सबसे अधिक तेजी से ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है. जो बेहद खतरनाक है. ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला दूसरा कैंसर सर्वाइकल कैंसर यानी महिलाओं की बच्चेदानी की ग्रीवा का कैंसर है. तीसरे नंबर पर ओवेरियन कैंसर, जिसे अंडाशय का कैंसर कहते हैं. महिलाओं में चौथे पर होने वाला कैंसर पित्त की थैली का कैंसर है और पांचवा सबसे कॉमन कैंसर खाने की नली का कैंसर है.
World Cancer Day : 70 प्रतिशत तक लाइफ स्टाइल
एसएन मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि कैंसर के तेजी से बढने की बससे बडी वजह लाइफस्टाइल में बदलाव है. खानपान में बदलाव, फास्ट फूड अधिक खाना. देरी से शादी होना. बच्चों को स्तनपान नहीं कराना और संतुलित आहार नहीं लेना है. रिसर्च और आकंडे देखते हैं तो कैंसर के मामलों में 70 फीसदी वजह तो महिलाओं की खराब लाइफस्टाइल और खानपान है. इसके बाद दस प्रतिशत कैंसर की वजह पर्यावरण कारक हैं. इसके बाद कुछ कारण जैनेटिक है.
World Cancer Day : ये जांच कराने से अर्ली स्टेज में पता चलेगा कैंसर
एसएन मेडिकल कॉलेज की कैंसर रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर का अर्ली स्टेज में पता लगाने के लिए 18 साल की उम्र के बाद ही युवती और महिलाएं अपने ब्रेस्ट का हर माह एक बार सेल्फ एग्जिामिन करना चाहिए. ये सिलसिला करीब 70 साल की उम्र तक जारी रखना है. इसके साथ ही क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिन में हर महिला को 40 साल की उम्र के बाद साल में एक बार डॉक्टर से ब्रेस्ट की जांच कराएं. इसके साथ ही दो साल में एक बार महिलाएं अपने डॉक्टर की सलाह पर मेमोग्राफी जरूर कराएं. सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए 26 साल की उम्र से 45 साल तक महिलाओं को तीन साल में एक बार पेप स्मीयर जांच करानी चाहिए. इसके बाद पांच साल में एक बार पेप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए. ओवरी कैंसर और पित्तशाय के कैंसर के लिए जांच की कोई गाइडलाइन नहीं है. मगर, 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को साल में एक बार अल्ट्रासाउंड जरूर कराएं. खाने की नली के कैंसर को कोई गाइडलाइन नहीं है. मगर, यदि खाने पाने में कोई दिक्कत है तो खाने की नली की दूरबीन से जांच कराएं.
World Cancer Day : महिलाओं को होने वाले कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
- स्तन से दूध जैसा सफेद पदार्थ आना.
- स्तन से दूध की जगह पर खून आना.
- स्तन की त्वचा पर नारंगी रंग का स्पॉट दिखना.
- स्तन में कोई गांठ होना.
- कांख में कोई गांठ होना.
- स्तन का अग्रभाग का धंस जाना.
- स्तन के आकार में बदलाव होना.

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव होना.
- सामान्य से अधिक रक्तस्राव.
- असामान्य डिस्चार्ज होना.
- योनि से बदबूदार स्राव.
- योनि से सफेद पानी आना.
- पेल्विक क्षेत्र में दर्द होना.
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द.
- संभोग के दौरान दर्द.
- अचानक वज़न कम होना.
- भूख न लगना.
अंडाशय या ओवेरियन कैंसर के लक्षण
- अपच होने की शिकायत.
- बार बार पेट फूलना
- भूख कम लगना
- मल त्यागने की आदतों में बदलाव
- बार-बार पेशाब आना
- पेल्विस क्षेत्र में दर्द
- वज़न कम होना
पित्त की थैली या पित्ताशय का कैंसर
- पेट में दर्द होना.
- पेट में सूजन आना.
- मतली और उल्टी होना.
- भूख कम लगना.
- वज़न एकदम कम होना
- बुखार आना और थकान होना.
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)
खाने की नली का कैंसर
- खाना खाने में दिक्कत होना.
- वज़न अचानक से कम होना.
- एसिडिटी होना
- खट्टी डकार आना
- उल्टी होना
- सीने में जलन और दर्द होना.
- गले के आस-पास दर्द होना
- पेट में अचानक तेज़ दर्द होना
- पुरानी खांसी दोबारा उठना