World Mental Health Day: समाज में मानसिक बीमारियों के बारे में फैले मिथ्या जैसे कि मानसिक बीमारी, बीमारी नहीं बल्कि कोई ऊपरी चक्कर है. यह ठीक नहीं हो सकती है. मानसिक बीमारियों का इलाज एक बार शुरू हो गया तो जीवन पर्यंत चलेगा. ये दवाऐं सिर्फ नींद लाती हैं.
आगरा, उत्तर प्रदेश
World Mental Health Day: विश्व में हर साल अक्टूबर माह ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य माह’ (World Mental Health Month) के रूप में मनाया जाता है. इसके साथ ही 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ (World Mental Health Day) के रूप में मनाया जाता है. हर साल की तरह ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ पर गुरुवार को सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (Sarojini Naidu Medical College Agra) के मानसिक रोग विभाग ने सेंट्रल साइकेट्रिक सोसाइटी (Central Psychiatric Society) के तहत विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. जिसमें विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों ने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारियां दी. इस बारे में जनमानस में मानसिक स्वास्थ (Mental Health) के बारे में जागरूकता (Awareness) बढ़ाई जाए.
एसएनएमसी के मानसिक रोग विभाग (Mental Diseases Department of SNMC) की सहायक आचार्या डॉ. काश्यपी गर्ग ने बताया कि ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ का इस साल विषय ‘कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य का महत्व’ ( mportance of Mental Health at Workplace) है. तत्पश्चात कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल सिन्हा (Head of the Department, Dr. Vishal Sinha) ने मानसिक बिमारियों और उनके लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि समाज में मानसिक बीमारियों के बारे में फैले मिथ्या जैसे कि मानसिक बीमारी, बीमारी नहीं बल्कि कोई ऊपरी चक्कर के कारण है. यह ठीक नहीं हो सकती है. मानसिक बीमारियों का इलाज एक बार शुरू हो गया तो जीवन पर्यंत चलेगा. ये दवाऐं सिर्फ नींद लाती हैं.
समाज में फैली मिथ्याएं दूर कर जरूरी (remove the myths spread in the society)
विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल सिन्हा ने बताया कि ठीक हुए मरीजों और तीमारदारों को ये भी बताया कि वो कैसे समाज में फैली इन मिथ्याओं को दूर कर सकतें हैं. जिससे की अन्य रोगियों का उपचार समय पर हो सके. मानसिक बीमारियां अन्य बीमारियों जैसी ही होती हैं. जिनका इलाज मुमकिन है. जरूरी नहीं की हर बीमारी का इलाज लंबा चले. कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ को प्राथमिकता के विषय की प्रासंगिकता को अति महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि यदि किसी की संस्था के कर्मचारी मानसिक रूप से स्वस्थ हैं. तो वो कम छुट्टी लेते हैं. इसके साथ ही पूर्ण क्षमता से संस्था हित में कार्य करते हैं. इसलिए कार्य और जीवन के अन्य पहलुओं के बीच सामंजस्य बिठाना अत्यंत आवश्यक है.
जागरूकता कार्यक्रम में मरीज और स्टूडेंट रहे शामिल (Patients and students participated in the awareness program)
डॉ आशुतोष कुमार ने मानसिक रोगों के निदान के बारे में लोगों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सभी प्रकार की मानसिक बीमारियों का इलाज मुमकिन हैं. इसका समय रहते इलाज कराना और भी फायदेमंद होता है. इस अवसर पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में लगभग 200 से भी ज्यादा मरीज़ और उनके तीमारदार के साथ ही एमबीबीएस के करीब 200 छात्रों ने प्रतिभाग किया. सभी मरीज़ को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा एवं सतत प्रयास के लिए प्रोत्साहित किया गया.
नुक्कड़ नाटक से दिया संदेश (Message given through street play)
इसके साथ साथ कॉलेज परिसर में आम लोगों के बीच एक नुक्कड़ नाटक से लोगों को जागरुक किया. जिसमें इंटर्नशिप और एमबीबीएस के छात्रों ने बढ़ चढकर भाग लिया. इस नाटक का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करना और समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना था. नुक्कड़ नाटक के माध्यम से प्रतिभागियों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया. जैसे कि तनाव, अवसाद और सामाजिक दबाव. यह नाटक दर्शकों को संदेश देता है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं. इनका समाधान संवाद, समर्थन, और मानसिक रोग विशेषज्ञों से उचित परामर्श से संभव है.
ये रहे मौजूद (These people were present)
एसएनएमसी में आयोजित जागरुकता कार्यक्रम (Awareness Program) में मानसिक रोग विभाग , एसपीएम विभाग के रेजिडेंट्स डॉ. आंचल, डॉ. रघुवीर, डॉ. विदुषी, डॉ. निधि, डॉ. राहुल, डॉ. नियति, इंटर्न डॉक्टर्स, ओएसटी व डीटीसी के कर्मचारी भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में मरीज और उनके तीमारदार को पैंपलेट के माध्यम से भी मानसिक बीमारियों के बारे में जागरूक किया गया.