नई दिल्ली.
दुनिया में लगातार बढ़ रही जनसंख्या से विकास प्रभावित हो रहा है. जनसंख्या में बेहतहाशा वृद्धि से दुनिया में बेरोजगारी, भुखमरी, अशिक्षा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. अगर, आंकड़ों की बात करें तो साल 2022 के अंत तक दुनिया की जनसंख्या आठ अरब हो सकती है. इसको लेकर सभी चिंतित हैं.
बता दें कि, विश्व की आबादी सन 2011 में सात अरब थी. जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है. उसके मुताबिक, सन 2022 के अंत तक जनसंख्या बढ़कर आठ अरब तक पहुंचने की संभावना है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट-2022 के मुताबिक, विश्व की जनसंख्या 2050 तक 2020 की तुलना में 30 फीसदी अधिक हो जाएगी.

आंकड़ों की बात करें तो जनसंख्या में प्रति वर्ष करीब 8.3 करोड़ (1.10 फीसदी) की वृद्धि हो रही है. सन 2021 तक जनसंख्या में 79 करोड़ की वृद्धि हुई. जबकि, सन 2030 में 86 करोड़ तक बढ़ोतरी होने का अनुमान है. दुनिया में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत है.
मगर, भारत अभी युवा आबादी वाला देश है.
भारत में कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य समेत अन्य क्षेत्रों में बढ़ी हुई आबादी से होने वाली परेशानियां साफ दिखीं थीं. सन 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की आबादी 138 करोड़ पहुंच चुकी है. जो इस साल के अंत तक 140 करोड़ पहुंच जाएगी.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, सन 2022 के अंत तक दुनिया भर में बेरोजगारों की संख्या 20.7 करोड़ पहुंचने की संभावना है. जबकि, सन 2019 में यह आंकड़ा 18.6 करोड़ था. सन 2022 में वैश्विक स्तर पर बेरोजगारी दर 5.9 फीसदी और 2023 में 5.7 फीसदी पहुंच जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, जनसंख्या में बेहतहाशा वृद्धि से संकट ग्रस्त इलाकों में स्कूल नहीं जा पाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है. 22 करोड़ बच्चों में से सात करोड़ 82 लाख बच्चे ही सन 2022 में स्कूल की सुविधा से वंचित हैं. वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था कि, वर्ष 2021 में भारत में 15 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, सन 2021 में दुनियाभर में दो अरब 30 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे. वैश्विक महामारी से पहले की तुलना में 35 करोड़ अधिक है. भारत में 82 करोड़ लोग भूख से पीड़ित थे. यह संख्या 2020 की तुलना में साढ़े चार करोड़ और 2019 की तुलना में 15 करोड़ अधिक है.