आगरा/ लखनऊ (उत्तर प्रदेश) .
भले ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (World Health Organization ) ने विश्व से 2030 तक टीबी खत्म करने लक्ष्य रखा है. जबकि, पीएम मोदी ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है. इस साल वर्ल्ड टीबी डे की थीम ‘यस, वी कैन एंड टीबी’ (Yes, We Can and TB) है. पूरे देश में ‘टीबी हारेगा और देश जीतेगा’, ‘पूर्ण संकल्प, संयुक्त प्रयास’ जैसे स्लोगन के साथ टीबी मुक्त भारत का कैंपन चलाया जा रहा है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका टीबी चैम्पियन निभा रहे हैं. ताजनगरी में एक साल से 16 चैंपियन हैं. जो टीबी के मरीज और उनके परिजन की काउंसलिंग कर रहे हैं कि, टीबी होने पर घबराएं नहीं. टीबी से डरें नहीं. mobycapsule.com दो टीबी चैम्पियन से ख़ास बात की. आइए, आप भी पढ़िए. टीबी चैम्पियन की कहानी. टीबी होने पर वे डरे और घबराए नहीं. समय से दवा खाई. जिससे पीएम मोदी के टीबी मुक्त भारत का मिशन पूरा किया जा सके.
टीबी ने मुझे दुबला किया, हौसले से दी मात
टीबी चैपिंयन शिवानी बताती हैं कि, अचानक मेरा वजन कम होने लगा था. मैं दुबली हो गयी. बुखार भी आ रहा था. जो टूट नहीं रहा था. मेरे पिता पहले से टीबी बीमारी के बारे में जानते थे. इसलिए, मेरे पिता अपने एसएन मेडिकल काॅलेज में मेरी जांच कराई. यहां पर टीबी की जानकारी हुई. चिकित्सकों ने भर्ती करने की कही तो मैं डर गई थी. मैं भर्ती नहीं. मैंने पूरा छह माह का इलाज लिया. समय पर दवा खाई. मैंने टीबी को मात दी. अब मैं ठीक हूं. श्विानी बताती हैं कि, टीबी चैंपियन बनकर में दूसरे टीबी के मरीजों को अपने अनुवन शेयर करती हूं. जिससे वे डरें नहीं. क्योंकि, टीबी की पुष्टि होने के बाद मरीज डर जाते हैं. उन्हें सबसे ज्यादा डर छह माह तक चलने वाले उपचार का होता है. मैं उन्हें यही समझाती हूं कि, आप समय से दवाएं खाएं. छह के इलाज में आप टीबी ठीक हो जाएंगे. यह बीमार खत्म हो जाती है.
डरें नहीं, नियमित खाएं दवाएं
टीबी चैंपियन आरती ने बताया कि, मेरा काम यह है कि, जो भी टीबी के मरीज आते हैं. उनका उचार शुरू होता है. उन्हें दवा खाने के बारे में बताते हैं. उनहें दवा के बारे में बताते हैं. टीबी के मरीजों को यह बताते हैं कि, नियमित छह माह तक दवा खाएं. मुझे भी टीबी हुई थी. मैं अब बिल्कुल ठीक हूं. आपको डरना और घबराना नहीं हैं. परिवार के लोगों को भी यही बताते हैं कि, मरीज से बेहतर बर्ताव करें. उसे मोटिवेट करें.
टीबी चैंपियन अपने अनुभव कर रहे शेयर
वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था जिला सामुदायक समन्वयक यूनिस खान ने बताते हैं कि, एक साल से आगरा में संस्था काम की 16 टीबी चैंपियन हैं. जो पहले खुद टीबी की रोगी थीं. अब वे दूसरे टीबी के मरीजों को जागरुक कर रहे हैं. उनसे अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं. अभी तक संस्था के टीबी चैंपियन करीब तीन हजार लोगों की काउंसलिंग कर चुके हैं. जिसमें टीबी के मरीज और उनके परिजन शामिल हैं.
आगरा में टीबी चैंपियन का बेहतर काम
जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सीएल यादव कि, भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करना है. आगरा में ऐसे टीबी के मरीज हैं. जो पहले खुद टीबी से ग्रसित हुए. वे डरे नहीं. उन्होंने छह तक उपचार कराया. समय से दवा खाई और टीबी को मात दी. अब वे टीबी चैंपियन बनकर दूसरे टीबी के मरीज और लोगों को जागरुक कर रहे हैं. वे समाज में जाकर लोगों को लोगों को टीबी के लक्षण, उसकी जांच और उपचार के बारे में बताते हैं. आगरा जिले में टीबी चैंपियन बेहतर काम कर रहे हैं.