बदली दिनचर्या और व्यायाम न करने से हृदय रोग की शिकायत आम है. जो, एक जानलेवा स्वास्थ्य समस्या है. डॉक्टर्स हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से हृदय रोग होता है. मगर, नॉर्वे स्थित ओस्लो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने रिसर्च की है. जिसमें यह खुलासा हुआ है कि, हृदय रोग की बड़ी वजह अनिद्रा और हाइपरटेंशन हैं. इसलिए हृदय रोगियों को इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए.
बता दें कि, ‘स्लीप एडवांसेज’ जर्नल में नॉर्वे स्थित ओस्लो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की रिसर्च प्रकाशित हुई है. जिसमें यह सामने आया है कि, हृदय रोगों के शिकार लगभग आधे से अधिक रोगियों को नींद न आने का विकार है. अभी तक नींद न आना, एक मानसिक स्वास्थ्य बीमारी है. लेकिन, रिसर्च में पाया गया कि, चिंता और अवसाद की वजह से इलाज के बाद भी रोगियों में अनिद्रा बनी रहती है. जिससे हृदय रोग की संभावना प्रबल रहती है.
1068 हृदय रोगियों पर किया गया रिसर्च
शोध के प्रमुख लेखक लार्स फ्रोजड बताते हैं कि, रिसर्च में शोधकर्ताओं ने हार्ट अटैक या फिर अवरुद्ध धमनियों को खोलने के लिए स्टेंट इम्प्लांटेशन या बाईपास सर्जरी कराने वाले 1068 रोगी शामिल किए गए हैं. इसमें रोगियों की औसत आयु 62 वर्ष थी. लगभग आधे रोगियों को अनिद्रा की शिकायत मिली. शोधकर्ताओं ने पाया कि, अनिद्रा से हृदय रोग और उसकी जटिलता बढ़ जाती है.
अनिद्रा की वजह से बढ़े हृदय रोग के मामले
शोध के प्रमुख लेखक लार्स फ्रोजड बताते हैं कि, रिसर्च में यह बात सामने आई कि, हृदय रोग की वजह अनिद्रा की समस्या रही है. इसका उचित प्रबंधन करना चाहिए. अनिद्रा की वजह से हृदय रोग की जटिलता और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है. यदि आप अनिद्रा के शिकार हैं तो इसका निदान और उपचार जरूर कराएं.
कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर असर
शोध के प्रमुख लेखक लार्स फ्रोजड बताते हैं कि, रिसर्च के जो परिणाम आए. उनमें से तमाम हृदय रोगियों में अनिद्रा की शिकायत नहीं थी. 16 फीसदी मरीजों को मेजर एडवर्स कार्डियोवैस्कुलर इवेंट्स से बचाया जा सकता था. इसलिए सभी को अपनी नींद पर जोर देना चाहिए. अनिद्रा सिर्फ मानसिक रोग ही नहीं, हृदय रोग का जोखिम भी बढ़ाती है. लार्स फ्रोजड बताते हैं कि, हृदय रोगियों में अनिद्रा आम समस्या रही. जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ गया. इसलिए अनिद्रा का उपचार बेहद जरूरी है.
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