कहावत है कि, ‘चिंता चिता समान’. आज भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव बहुत है. यह बात सौ आने सच है. आज किसी न किसी वजह से लोग सुबह से रात तक चिंता में रहते हैं. जिसका उनकी जिंदगी पर प्रतिकूल असर होता है. छोटी-छोटी चिंता जब धीरे धीरे बड़ी समस्या बनती है. और कई बीमारियों का शिकार बना देती है. mobycapsule.com के इस आर्टिकल में आप सीनियर सायकेट्रिस्ट डॉ. अवनि तिवारी और फिजिशियन डॉ. एनके शर्मा की सलाह पढ़ेंगे. जिसमें दोनों ही विशेषज्ञ का कहना है कि, आज चिंता से कलेजे से कोख तक खतरा है.
तनाव खतरनाक और जानलेवा भी
तनाव से शरीर में कॉर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है. जब कोई लंबे समय तक तनाव में रहता है तो उसे कई गंभीर बीमारियां चपेट में ले लेती हैं. इस बारे में सीनियर सायकेट्रिस्ट डॉ. अवनि तिवारी बताती हैं कि, तनाव से एड्रिनल ग्लैंड स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज करती है. जिससे हार्ट तेजी से पंप करता है. धड़कन तेज होती है. इससे कई बीमारियां होने के साथ ही यह जानलेवा भी हो सकती है.
तनाव से इन बीमारियों का खतरा
डिप्रेशन का खतरा: अधिक चिंता करने से व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है. जिससे व्यक्ति के मन में नकारात्मक और सुसाइड करने जैसे ख्याल आते हैं.
एंग्जायटी की समस्या: तमाम ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें तनाव के चलते घबराहट होती है. ऐसी स्थिति में उनकी श्वांस जल्दी-जल्दी चलती है. मांसपेशियों में तनाव होता है.
गर्भ धारण में मुश्किल: तनाव की वजह से प्रेग्नेंसी प्लानिंग पर भी असर पड़ता है. अधिक तनाव की स्थिति में महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किल होती है.
हाई ब्लड प्रेशर: चिंता की वजह से शरीर की नसों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. जिससे ब्लड सर्कुलेशन तेजी से होता है. जिससे ब्ल्ड का प्रेशर बढ़ता है. ब्लड प्रेशर अधिक होने से किडनी, हार्ट और आंखों पर असर पड़ता है.
अनियमित पीरियड्स: महिलाओं में अधिक तनाव की वजह से एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है. जिससे हार्मोनल बैलेंस सही नहीं रहता है. जिससे महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की परेशानी बढ़ती है.
हार्ट डिसीज और अटैक: तनाव से ब्ल्ड प्रेशर बढ़ने से धड़कन तेजी से चलती है. अचानक धड़कन तेज होना भ्री दिल के लिए खतरनाक है. इससे हार्ट डिसीज के साथ ही हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
आंखों की रोशनी कम: हॉवर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, अधिक तनाव से आंखें कमजोर होती हैं. क्योंकि, मष्तिक और आंखों की नसें आपस में जुड़ी हैं. जब तनाव से मष्तिक पर जोर पड़ता है. जिससे आंखों की रोशनी कम होती है.